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सुधार से खुद को अलग नहीं रख सकता चुनाव आयोग: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनाव आयोग को निर्देश दिए कि आगामी लोकसभा चुनाव में VVPAT मशीनों की संख्या बढ़ाई जाए. कोर्ट ने कहा कि यह मतदाताओं की संतुष्टि का प्रश्न है और इसे चुनाव प्रक्रिया पर सवाल के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. CJI रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा, 'कोई भी संस्था, चाहे वह न्यायपालिका ही क्यों न हो, खुद को सुधार से अलग नहीं रख सकती है.' बेंच ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा है कि वह VVPAT मशीनों की संख्या बढ़ा सकता है या नहीं. आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों के 21 नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है कि आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान हर विधानसभा क्षेत्र में VVPAT मशीनों से निकलने वाली कम से कम 50 प्रतिशत पर्चियों को चेक किया जाए. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए बेंच ने चुनाव आयोग से कहा कि वह शपथपत्र दायर कर कारण बताए कि वह चुनावों की पारदर्शिता को लेकर इतनी आश्वस्त क्यों है. बेंच ने कहा, 'चुनाव आयोग पूरी तरह आश्वस्त है कि चुनाव की पवित्रता को पूरी तरह सुनिश्चित किया जा सकता है. चुनाव आयोग को अपनी संतुष्टि की वजह शपथपत्र में बतानी होगी.' बेंच ने आगे कहा, "चुनाव आयोग को यह भी बताना होगा कि क्या सैंपल सर्वे को बड़े स्तर पर किया जा सकता है.' शपथपत्र दायर करने के लिए कोर्ट ने चुनाव आयोग को 28 मार्च शाम चार बजे तक का वक्त दिया है. मामले की अगली सुनवाई 1 अप्रैल को होगी.

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