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ISL 2018-19 Final: बेंगलुरू के लिए क्‍या कुआडार्ट कर पाएंगे रोका का अधूरा काम ?

बीते सीजन के अंत में जब अल्बर्ट रोका बेंगलुरू एफसी के साथ करार को आगे बढ़ाने से इंकार कर दिया था तब इस क्लब ने चालर्स कुआडार्ट के रूप में एक जाने पहचाने चेहरे को एक बार फिर अपना मुख्य कोच बनाने का फैसला किया था. कुआडार्ट इससे पहले बेंगलुरू के कोचिंग स्टाफ में शामिल थे और अच्छी तरह जानते थे कि बेंगलुरू को कैसे आगे लेकर जाना है और साथ ही साथ यह भी जानते थे कि बेंगलुरू ने खेल के मामले में भारत में जो उत्कृष्ठता हासिल की थी, उसे किस तरह बनाए रखना था. तो क्या कोच के तौर पर कुआडार्ट सही चयन थे. क्या वह रोका का स्थान लेने के लिए तैयार थे. क्या खिलाड़ी उनका उतना ही सम्मान करते हैं, जितना कि वे रोका और एश्ले वेस्टवुड का करते थे. ऐसे कई सवाल थे लेकिन इस सब को लेकर बेंगलुरू की टीम कभी ऊहापोह में नहीं रही. बीते सीजन के फाइनल में चेन्नइयन एफसी के हाथों मिली हार के बाद बेंगलुरू की खिताब जीतने की ललक और बढ़ गई और इसी कारण कुआडार्ट की देखरेख में यह टीम फिर से एकजुट होकर खड़ी हो गई और अब फाइनल खेलने के लिए तैयार है. पूरे सीजन के दौरान बेंगलुरू ने अपनी स्वाभाविक लड़ाका प्रवृति दिखाई और लगातार टॉप पर बना रहा. कुआडार्ट ने कहा-हमने अपना काम कर दिखाया है और अब हमारे पास सिर्फ एक काम बचा है और वह फाइनल जीतना है. फाइनल काफी कठिन होने जा रहा है क्योंकि गोवा एक शानदार टीम है. बीते समय की बेंगलुरू टीम और आज की बेंगलुरू टीम में कुछ खास और कुछ अलग है. बीते सीजन में बेंगलुरू की टीम लगातार सशक्त बन रहते हुए फाइनल तक का रास्ता तय किया था और इस सीजन में इस क्लब ने कई उतार-चढ़ाव देखे लेकिन इसके बावजूद उसके फाइनल में जाने को लेकर किसी प्रकार की कोई शंका नहीं रही. बीते सीजन में अगर मीकू और सुनील छेत्री साथ मिलकर बेंगलुरू को फाइनल तक ले गए थे तो इस सीजन में टीमवर्क ने बेंगलुरू को फाइनल तक पहुंचाया है. इस सीजन में किसी एक की चमक से बेंगलुरू नहीं चमका है बल्कि हर एक खिलाड़ी ने अपना योगदान दिया है. ऐसा भी समय था जब मीकू चोटिल थे और छेत्री संघर्ष कर रहे थे, तब भी खिलाड़ियों ने अपनी टीम का झंडा बुलंद रखा था. अटैकिंग मिडफील्डर के तौर पर हर्मनजोत खाबरा ने नया जीवन हासिल किया जबकि एरिक पार्टालू की गैरमौजूदगी में दिमास डेल्गाडो ने आगे आकर मि़डफील्ड की जिम्मेजारी संभाली. साथ ही उदांता सिंह ने खुद को अहम खिलाड़ी के तौर पर स्थापित किया. एल्बर्ट सेरान ने जॉनसन का स्थान लिया. इन सब प्रयासों के बाद एक अटैकिंग ब्रांड के तौर पर बेंगलुरू की प्रतिष्ठा कायम रही. इस टीम का अहम हिस्सा रहे डेल्गाडो ने कहा-फाइनल अलग तरह का मुकाबला होता है. हम जानते हैं कि गोवा के खिलाफ कैसा खेलते हैं. हमें इसे लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है. हमने यहां तक आने के लिए काफी मेहनत की है. अब हम फाइनल में हैं और यह शानदार अनुभव है. बेंगलुरू की टीम बीते साल भी फाइनल में पहुंची थी और इस साल भी पहुंच चुकी है। यह एक खास टीम है, जिसकी किस्मत में महानता लिखी है।

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