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IPL 2019 : जोस बटलर आईपीएल में ‘मांकडिंग’ के पहले शिकार बने

राजस्थान रॉयल्स के सलामी बल्लेबाज जोस बटलर आईपीएल के इतिहास में ‘मांकड़िग’ के शिकार होने वाले पहले बल्लेबाज बने. किंग्स इलेवन पंजाब के कप्तान आर अश्विन ने जयपुर में मैच के दौरान विवादित ढंग से उन्हें आउट किया. बटलर उस समय 43 गेंद में 69 रन बनाकर खेल रहे थे जब अश्विन ने उन्हें चेतावनी दिए बिना मांकडिंग से आउट किया. खेल के नियमों के अनुसार तीसरे अंपायर ने उन्हें आउट दिया, लेकिन ऐसे विकेट खेलभावना के विपरीत माने जाते हैं. इसके बाद बटलर और अश्विन के बीच तीखी बहस भी हुई. भारतीयों में कपिल देव ने दक्षिण अफ्रीका के पीटर कर्स्टन को 1992-93 की सीरीज के दौरान मांकडिंग से आउट किया था. वहीं घरेलू क्रिकेट में स्पिनर मुरली कार्तिक ने बंगाल के संदीपन दास को रणजी ट्रॉफी मैच में इसी तरह से आउट किया था. क्या होता है मांकडिंग इसमें नॉन-स्ट्राइकर को गेंदबाज द्वारा गेंद फेंकने से पहले रन आउट किया जाता है. इसमें जब गेंदबाज को लगता है कि नॉन-स्ट्राइकर क्रीज से बहुत पहले बाहर निकल रहा है तो वह नॉन-स्ट्राइकर छोर की गिल्लियां उड़ाकर नॉन-स्ट्राइकर को आउट कर सकता है. इसमें गेंद रिकॉर्ड नहीं होती लेकिन विकेट गिर जाता है. वीनू मांकड से संबंध मांकडिंग के सबसे मशहूर उदाहरण वीनू मांकड द्वारा ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज बिल ब्राउन को रन आउट करना है. यह घटना 13 दिसंबर 1947 को हुई थी. माकंड गेंदबाजी कर रहे थे और उन्होंने ब्राउन को क्रीज से बाहर निकलने पर रन आउट कर दिया. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया-XI के खिलाफ उस दौरे पर दूसरी बार ब्राउन को ऐसे आउट किया था. तब मांकड ने दी थी चेतावनी मांकड उस मैच में ब्राउन को आउट करने से पहले चेतावनी दे चुके थे. ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने मांकड के व्यवहार को खेल भावना के खिलाफ बताया था. हालांकि ऑस्ट्रेलियाई कप्तान डॉन ब्रैडमैन ने माकंड के रवैये का समर्थन किया. तब से बल्लेबाज के इस तरह आउट होने की घटना को अनौपचारिक तौर पर माकंडिंग कहा जाता है. क्या कहता है नियम नियम 42.14 में शुरुआती तौर पर कहा गया था, 'गेंदबाज को, जब वह गेंद नहीं फेंक चुका हो और अपनी आम डिलीवरी के लिए स्विंग पूरा ना किया हो, नॉन स्ट्राइकर एंड पर रन आउट करने की अनुमति मिलती है.' साल 2017 में नया नियम आया जिसके बाद गेंदबाज को नॉन स्ट्राइकर छोर पर रन आउट करने की अनुमति मिलती है, उस मौके पर कि वह गेंद फेंकने का पूरी तरह अनुमान लगा चुका हो. यदि गेंदबाज तब अपनी कोशिश में नाकाम रहता है तो अंपायर को जल्द से जल्द उसे डेड बॉल घोषित करना चाहिए. (भाषा के इनपुट के साथ)

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