नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने नये संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के फैसले को लेकर शुक्रवार को विपक्षी दलों की आलोचना की और कहा कि जो चीज विपक्ष को जोड़ती है. वह उनका वंशवादी नेतृत्व है जिसके ''राजशाही'' तरीके संविधान के सिद्धांतों के साथ टकरा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इन दलों को आत्ममंथन करना चाहिए.
उन्होंने ट्वीट किया कि उद्घाटन का बहिष्कार करने वाली पार्टियों में लोकतंत्र के प्रति कोई प्रतिबद्धता नहीं है क्योंकि उनका एकमात्र उद्देश्य परिवारवादियों के एक चुनिंदा समूह को बनाए रखना है. केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी कांग्रेस पर हमला बोला.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश की आलोचना करते हुए जोशी ने कहा, "कांग्रेस पार्टी को 'भारतीय' मूल्य और संस्कृति को बदनाम करने की आदत है. आज जब दुनिया भारत की समृद्ध परंपराओं पर ध्यान दे रही है, कांग्रेस पार्टी भारत और उसकी विरासत का अपमान करने के लिए नए तरीके खोजने की कोशिश कर रही है. ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी अभी भी औपनिवेशिक खुमारी में है."
रमेश ने कहा था कि इस बात का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि सी राजगोपालाचारी और जवाहरलाल नेहरू जैसे नेताओं ने 'सेंगोल' को अंग्रेजों द्वारा भारत में सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बताया था. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. इस अवसर पर प्राचीन तमिल साम्राज्य के एक औपचारिक राजदंड 'सेंगोल' को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के करीब स्थापित किया जाएगा. करीब 20 विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह के बहिष्कार की घोषणा की है.
प्रसाद ने कहा कि विपक्ष मोदी से जुड़ी किसी भी चीज का बहिष्कार करने पर आमादा रहता है. उन्होंने कहा, 'हम सभी जानते हैं कि उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को कितना सम्मान दिया? क्या वे नए संसद भवन के शिलान्यास समारोह में शामिल हुए थे? क्या उन्होंने गुजरात में सरदार पटेल की प्रतिमा को श्रद्धांजलि दी? उन्हें इसका विरोध करना है क्योंकि मोदी इसे कर रहे हैं.'
नड्डा ने कहा, ''ये वंशवादी पार्टियां, विशेष रूप से कांग्रेस और नेहरू-गांधी परिवार, इस साधारण तथ्य को पचा नहीं पा रहे हैं कि भारत के लोगों ने एक साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले व्यक्ति में अपना विश्वास रखा है.' उन्होंने कहा, 'नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने वाले ज्यादातर दलों को क्या जोड़ता है? इसका सीधा सा जवाब है- वे वंशवाद द्वारा संचालित राजनीतिक दल हैं, जिनके राजशाही तरीके हमारे संविधान में गणतंत्रवाद और लोकतंत्र के सिद्धांतों के साथ टकराव में हैं.'
भाजपा अध्यक्ष ने दावा किया कि इन दलों को उनकी पक्षपातपूर्ण राजनीति के लिए लोगों द्वारा एक बार फिर दंडित किया जाएगा क्योंकि मतदाता देख रहे हैं कि ये पार्टियां कैसे राजनीति को राष्ट्र से ऊपर रख रही हैं.
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