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रेल हादसे के बाद तमिलनाडु के छह यात्रियों से संपर्क नहीं हो सका : राज्य सरकार

तमिलनाडु सरकार ने रविवार को कहा कि ओडिशा रेल हादसे के सिलसिले में अबतक राज्य के महज छह लोगों से संपर्क नहीं हो सका है जबकि भद्रक से एक विशेष ट्रेन के जरिये 100 से अधिक लोग यहां पहुंचे. बचाव कार्यों में तालमेल के सिलसिले में परिवहन मंत्री एस.एस. शिवशंकर के साथ ओडिशा दौरे से लौटे युवा कल्याण मंत्री उदयनिधि मारन ने कहा कि उन्होंने ओडिशा में किसी भी अस्पताल में तमिलनाडु के किसी घायल व्यक्ति को इलाज कराते हुए नहीं पाया. 

उदयनिधि और शिवशंकर अस्पताल, मुर्दाघर और बचाव कार्यों के लिए ओडिशा द्वारा स्थापित कॉल सेंटर गये थे. उन्होंने ओडिशा के मुख्य सचिव प्रदीप कुमार जेना एवं वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत की. अपनी दो दिवसीय यात्रा से लौटे उदयनिधि ने कहा कि तमिलनाडु का कोई भी यात्री प्रभावित नहीं हुआ.

राज्य सरकार ने ट्रेन हादसे के सिलसिले में उसे अबतक मिली आधिकारिक सूचना का हवाला देते हुए कहा कि तमिलनाडु के एक भी व्यक्ति की जान नहीं गयी और न ही कोई ऐसा घायल है जिसे इलाज की जरूरत है.

उदयनिधि ने कहा कि जहां तक तमिलनाडु के उन आठ व्यक्तियों की बात है जिनसे संपर्क नहीं हो सका है तो अधिकारियों ने उनमें दो - नरकानिगोपी और ए. जगदीशन का पता लगा लिया है और उनसे बात भी की है. वे दोनों सुरक्षित हैं.

उन्होंने कहा कि सह-यात्रियों ने रेलवे पुलिस को सूचित किया है कि छह अन्य भी सुरक्षित हैं. 

सौ से अधिक यात्रियों को पूरी तरह परखने के बाद उनमें से 36 यात्रियों का मेडिकल परीक्षण किया गया जिनमें एक यात्री को यहां राजीव गांधी सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. परीक्षण के बाद सभी यात्रियों को घर भेज दिया गया. मामूली रूप से घायल लोगों का इलाज किया गया.

ओडिशा में हुए रेल हादसे में जीवित बचे कई लोग विशेष ट्रेन से रविवार को यहां पहुंचे. उनके चेहरों से साफ जाहिर हो रहा था कि वे सदमे में हैं.

केरल की रहने वाली एक महिला ने कहा कि उन्होंने सिर्फ टेलीविजन पर हादसों को देखा था और जब खुद इसका सामना किया तो वह बुरी तरह डर गई हैं. 

उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा, “यात्रियों को दी जाने वाली चादरों का इस्तेमाल घायलों को ले जाने के लिए किया गया. चादरें उनके खून से लाल हो गईं. बहुत डरावना मंजर था.”

इस हादसे से सहमे एवं यात्रा से थके एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि चारों तरफ खून और कटे हुए हाथ-पैर तथा इधर-उधर बिखरे शवों को देखना बड़ा दर्दनाक था. 

दुर्घटना में जख्मी हुए अन्य मुसाफिर ने कहा, "मैं बोगी एस-1 में सो रहा था.अचानक से मैंने धमाके की आवाज़ सुनी. इससे पहले मैं कुछ समझ पाता कि क्या हुआ है एक रॉड जैसी कोई चीज़ मेरी पसलियों के पास लगी और मैं करीब-करीब बेहोश हो गया."

उन्हें स्वास्थ्य कर्मी व्हीलचेयर पर राजीव गांधी सरकारी मेडिकल कॉलेज ले गए. 

तमिलनाडु के सेलम के रहने वाले सैनिक कनगराज चेन्नई आ रही ट्रेन में सवार थे. उन्होंने कहा कि चालक द्वारा अचानक ब्रेक लगाने से बोगियां अलग हो गईं, कुछ एक तरफ गिरीं और कुछ अन्य डिब्बों पर जा गिरीं.

उन्होंने बताया कि जब बोगी हिली तो कुछ लोग एक के बाद एक उनके हाथ पर गिर पड़े. उन्होंने जितना संभव हो सका, उतने लोगों को बचाया, खासकर बच्चों को बचाया.

स्वास्थ्य मंत्री एम. सुब्रमण्यम ने पत्रकारों से कहा कि ओडिशा से कुल 294 यात्री विशेष ट्रेन में सवार हुए थे जिनमें से 137 यात्री यहां पहुंचे और अन्य यात्री अलग-अलग गंतव्यों पर उतरे. 

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