साल 2016 में सरकार की तरफ से नोटबंदी किए जाने के बाद देशभर से कई लोगों के मौत के मामले सामने आए थे. लेकिन अब PMO का कहना है कि सरकार के पास इन मौतों के बारे में कोई जानकारी नहीं है. PMO ने ये जानकारी केंद्रीय सूचना आयोग को दी. दरअसल केंद्र सूचना आयोग इस मामले में एक आरटीआई आवेदक की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसे आवेदन देने के बाद आवश्यक 30 दिनों के अंदर सूचना मुहैया नहीं कराई गई थी. अरुण जेटली ने क्या कहा? नोटबंदी के दौरान हुई मौतों के मामले में सबसे पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 18 दिसंबर 2018 को इस बात को माना था कि नोटबंदी के दौरान भारतीय स्टेट बैंक के तीन अधिकारी और इसके एक ग्राहक की मौत हो गई थी. बताया जाता है कि नोटबंदी से जुड़ी मौत पर सरकार की यह पहली पुष्टी थी. देश भर से नोटबंदी से जुड़े मामलों में लोगों की मौत की खबर आई थी. क्या था मामला? नीरज शर्मा ने PMO में आरटीआई आवेदन देकर जानना चाहा कि नोटबंदी के बाद कितने लोगों की मौत हुई थी और उन्होंने मृतकों की लिस्ट मांगी थी. PMO से निर्धारित 30 दिनों के अंदर जवाब नहीं मिलने पर शर्मा ने CIC का दरवाजा खटखटाकर अधिकारी पर जुर्माना लगाए जाने की मांग की. सुनवाई के दौरान PMO के CPIO ने आवेदन का जवाब देने में विलंब के लिए बिना शर्त माफी मांगी. उन्होंने कहा कि शर्मा ने जो जानकारी मांगी है वह RTI के कानून की धारा 2 (F) के तहत ‘सूचना’ की परिभाषा में नहीं आती है. सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव ने कहा, ‘दोनों पक्षों की सुनवाई करने और रिकॉर्ड देखने के बाद आयोग ने पाया कि शिकायतकर्ता ने RTI आवेदन 28 अक्टूबर 2017 को दिया था और उसी दिन वह जवाब देने वाले अधिकारी को मिल गया था. बहरहाल, CPIO ने सात फरवरी 2018 को उन्हें जवाब दिया. इस प्रकार जवाब दिए जाने में करीब दो महीने का विलंब हो गया.’ हालांकि, उन्होंने कोई जुर्माना नहीं लगाया.
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