शिवसेना ने शुक्रवार को कहा कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार और बीएसपी अध्यक्ष मायावती का लोकसभा चुनाव न लड़ना एनडीए की निश्चित जीत का स्पष्ट संकेत है. पार्टी ने यह भी दावा किया कि कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर प्रदेश में एसपी-बीएसपी गठबंधन का खेल बिगाड़ देंगी, क्योंकि कांग्रेस और मायावती का वोट बैंक एक ही है. एनडीए के घटक दल शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में एक संपादकीय में कहा कि पवार और मायावती का चुनाव ना लड़ना इस बात का संकेत है कि नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री के रूप में जीतकर लौटने का रास्ता साफ है. संपादकीय में कहा गया है, 'शरद पवार के साथ मायावती ने भी लोकसभा चुनाव ना लड़ने का फैसला किया है. महत्वपूर्ण बात यह है कि वे प्रधानमंत्री पद की दौड़ से बाहर हैं.' मायावती का हवाला देते हुए शिवसेना ने कहा कि वह देशभर में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार करना चाहती हैं इसलिए उन्होंने खुद चुनाव ना लड़ने का फैसला किया. संपादकीय में कहा गया है कि बसपा की मौजूदगी केवल उत्तर प्रदेश में है और चुनाव ना लड़ने के फैसले का मतलब है कि वह चुनाव लड़ने से भाग रही हैं. 'सामना' में दावा किया गया कि पवार ने भी माढा लोकसभा सीट से इसी तरह भगाने का रास्ता चुना. एनसीपी प्रमुख पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने कहा कि पवार पूरे विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अपने परिवार और पार्टी सदस्य को एकजुट नहीं कर सके. शिवसेना ने व्यंग्य के तौर पर कहा, 'रंजीत सिंह मोहिते पाटिल का एनसीपी छोड़ने और बीजेपी में शामिल होने का फैसला पवार के लिए बड़ा झटका है.' प्रियंका गांधी वाड्रा पर पार्टी ने कहा, 'साल 2014 में दलित और यादवों ने मोदी के लिए भारी संख्या में वोट दिया था और मायावती का एक भी उम्मीदवार जीत नहीं सका. यह डर उन्हें आज भी सताता है. प्रियंका की ‘पर्यटन’ यात्रा को अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है और मायावती को डर है कि वह जहां से भी लड़ने का फैसला करेंगी वहां कांग्रेस नेता उनका खेल बिगाड़ देंगी.' शिवसेना ने कहा, 'न शरद पवार और ना ही मायावती चुनाव लड़ रही हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे दो लोग अब दावेदार नहीं रहे. इससे एनडीए की ताकत साबित होती है.'
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