इच्छाएँ पूरी नहीं होती हैं, तो क्रोध बढ़ता है।
और इच्छाएँ पूरी हो जाती हैं, तो लोभ बढ़ता है।
इसलिए जीवन की हर तरह की परिस्थिति
में धैर्य बनाए रखना ही श्रेष्ठता है।
मानव कितनी भी बनावट कर ले, अँधेरे में छाया, बुढ़ापे में
काया और अंत समय में माया किसी का साथ नहीं देती।

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