नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (NMML) से भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का नाम हटाने पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच ताजा विवाद शुरू हो गया है. दूसरी तरफ सितंबर तक तीन मूर्ति भवन परिसर के अंदर "लोकतंत्र की जननी" गैलरी और पीएम नरेंद्र मोदी के जीवन, शासन और उपलब्धियों पर केंद्रित एक गैलरी बनाने की तैयारी की जा रही है. प्रधानमंत्री संग्रहालय स्वतंत्रता के बाद से भारत के सभी 14 पूर्व प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक म्यूजियम है.
तीन मूर्ति भवन परिसर पंडित जवाहरलाल नेहरू का आधिकारिक निवास था. इसमें वे 16 साल तक रहे थे. उनके निधन के बाद उनके सम्मान में इस आवास को नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी में परिवर्तित कर दिया गया था. पिछले साल 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती पर पीएम नरेंद्र मोदी ने इसी परिसर में प्रधानमंत्री संग्रहालय का उद्घाटन किया था. इसमें देश के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों की जीवन गाथाएं हैं. इस संग्रहालय को लेकर भाजपा ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि यह सांस्कृतिक स्थल का लोकतंत्रीकरण है. इसमें देश के प्रत्येक प्रधानमंत्री को वह स्थान मिल रहा है जिसके वे हकदार हैं.
इस मामले के जानकारों के अनुसार, तीन नई गैलरियां - ओरिएंटेशन, लोकतंत्र की जननी और एक अन्य विशेष रूप से पीएम मोदी पर केंद्रित गैलरी अगले तीन महीनों में तैयार होने की संभावना है. ओरिएंटेशन गैलरी आने वालों को कुछ ही मिनटों में पूरे संग्रहालय की एक झलक दिखाएगी. लोकतंत्र की जननी गैलरी में यह दिखाया जाएगा कि पिछले 75 वर्षों में भारत ने लोकतंत्र के रूप में कैसे प्रगति की.
पीएम मोदी की गैलरी में उनके जीवन और प्रेरणा, प्रधानमंत्री के रूप में उनके व्यक्तित्व, उनकी शासन शैली, कूटनीति और नीति निर्माण, उनके व्यक्तित्व के अन्य पहलुओं के साथ-साथ उनकी मां के साथ उनके संबंध, पर्यावरण पर उनके विचार आदि को प्रदर्शित किए जाने की संभावना है. संग्रहालय में यह भी प्रदर्शित किया जाएगा कि भारत खेल, कला, शिक्षा, अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्रों में कैसे आगे बढ़ा है. इस मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा, "यह विभिन्न प्रधानमंत्रियों को जोड़ने वाले रैंप पर प्रदर्शित किया जाएगा. अब तक हर दिन कम से कम 3,000 लोग आ रहे हैं."
सरकार की ओर से एनएमएमएल सोसाइटी का नाम बदलकर प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय सोसायटी करने पर ने कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उसने इसे "निम्नस्तरीय कार्य" कहा और कहा कि इमारतों का नाम बदलने से विरासत नहीं मिटती. इस पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यह कहते हुए पलटवार किया कि कांग्रेस यह स्वीकार करने में असमर्थ है कि नेता "एक वंश" से परे भी हैं. उन्होंने कहा कि यह "राजनीतिक अपच" का एक उम्दा उदाहरण है. संग्रहालय का नाम बदलने का फैसला गुरुवार को एनएमएमएल सोसायटी की एक विशेष बैठक में लिया गया. बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की, जो कि इस सोसायटी के उपाध्यक्ष हैं.
NMML को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच कई विवाद हुए हैं. चाहे जयराम रमेश, खरगे जैसे कांग्रेस नेताओं और नितिन देसाई और नयनज्योत लाहिड़ी जैसे बुद्धिजीवियों को संग्रहालय की सोसायटी से बाहर करना हो, या संघ परिवार के नेताओं दीन दयाल उपाध्याय, श्यामा प्रसाद मुखर्जी या हिंदुत्व विचारक वीर सावरकर पर सेमिनार शुरू करना हो, इन मुद्दों को लेकर विवाद होते रहे हैं.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शुक्रवार को संग्रहालय का नाम बदलने के कदम की निंदा करते हुए कहा कि NMML एक ग्लोबल इंटलेक्चुअल लैंडमार्क और पुस्तकों और अभिलेखों का खजाना है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि जिनका अपना इतिहास नहीं है, वे दूसरों के इतिहास को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, पूर्व पीएम चंद्र शेखर के बेटे नीरज शेखर, जो कि एक बीजेपी सांसद भी हैं, ने नाम बदलने का स्वागत करते हुए कहा कि यह उन सभी प्रधानमंत्रियों के लिए उपयुक्त श्रद्धांजलि है जिन्होंने देश की सेवा की. उन्होंने कहा कि, कांग्रेस कभी भी वंशवाद से परे नहीं देखती है.
पहले केवल नेहरू को समर्पित रहे इस संग्रहालय में अब तक कुल 43 गैलरियां हैं. यह गैलरियां स्वतंत्रता संग्राम, भारत के संविधान का निर्माण, 1947 में भारत, साक्षरता, अर्थव्यवस्था, ब्रिटिश विरासत आदि पर केंद्रित हैं. सभी 14 पूर्व प्रधानमंत्रियों की उपलब्धियों को अलग-अलग रेखांकित किया गया है. साउंड एंड लाइट शो के साथ छह विदेशी भाषाओं में ऑडियो गाइड है. इसमें भारत की दूरसंचार और वैक्सीनेशन में सफलता की कहानियां भी सुनाई जाती हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल संग्रहालय का उद्घाटन करते हुए कहा था कि आने वाले वर्षों में यह युवाओं को यह समझने में मदद करेगा कि प्रत्येक पीएम ने किन कठिनाइयों का सामना किया और उन्होंने उन्हें कैसे दूर किया. उद्घाटन के समय पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री, मोरारीजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर, देवेगौड़ा, पीवी नरसिम्हा राव और अटल बिहारी वाजपेयी के परिवार के सदस्य मौजूद थे.
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